कल रात जो देखा था तुमने
वो सूना तारा हमारा था
तुझसे रौशन टिमटिम करता
उसने विश्वास हमारा था
घर के रौशन कोने में
उम्मीद की एक परछाईं थी
तुझसे मिलकर खिल खिल करती
अभी पड़ी सकुचाई सी
जो धार चली थी आँखों से
एक आंसू मेरा उसने
एक आँसू तुम्हारा था
थोड़ी थोड़ी भूली सी
वो फ़रियाद हमारी थी
नींद में थे तब सच्ची थी
अब जाग गये तो याद नहीं
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