Tuesday, March 12, 2024

कल रात जो देखा था तुमने

कल रात जो देखा था तुमने 

वो सूना तारा हमारा था

तुझसे रौशन टिमटिम करता

उसने विश्वास हमारा  था 


घर के रौशन कोने में 

उम्मीद की एक परछाईं थी

तुझसे मिलकर खिल खिल करती

अभी पड़ी सकुचाई सी 


जो धार चली थी आँखों से 

एक आंसू मेरा उसने

एक आँसू तुम्हारा था 


थोड़ी थोड़ी भूली सी 

वो फ़रियाद हमारी थी 

नींद में थे तब सच्ची थी

अब जाग गये तो याद नहीं 



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