अनंत व्योम गर्भ से
तमस् है जन्म ले रहा
प्रकाश अबल खड़ा वहीं
काल अस्त हो रहा
अनादि जीव देव का
है अंत वहाँ हो रहा
शब्द का विनाश भी
शब्द में ही हो रहा
सृजन विलय के बीच में
नये आयाम को सींचता
दिशाओं को भी वो
भुजाओं में समेटता
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