शब्द तुम्हारे , दृष्य तुम्हारे ,
भाव तुम्हारे , वेदना तुम्हारी ,
कल तुम्हारा , आज तुम्हारा ,
तम तुम्हारा, प्रकाश तुम्हारा।
सृजन तुम्हारा , प्रलय तुम्हारा,
सृष्टि तुम्हारी , ज्ञान तुम्हारा,
मोह तुम्हारा, वैराग तुम्हारा ,
जीवन तुम्हारा , मृत्यु तुम्हारी।
उसकी इस निर्मम क्रीड़ा में ,
मैं अव्यक्त , अपरिभाषित पुरुष ,
तुम मुझसे रूठी प्रकृति।
प्रेम नहीं करुणा बस देदो ,
मेरे थे जो , वो शब्द मुझे देदो।
1 comment:
Beautiful... !!!
May the quest continue!
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