पता है, मैं अभी भी उतनी ही सिगरेट पीता हूँ। हाँ बस अब नेवी कट नहीं पी पता, बोहोत स्ट्रांग लगती है. उस दिन जाते वक़्त तुमने कहा था ना कि अगली बार आऊँगी तो छुड़वा दूंगी. लोग मना करते रहे, कहते रहे छोड़ने को लेकिन मैं इत्मिनान से पीता रहा कि तुम आओगी तो छोड़ दूंगा। डॉक्टर कह रहे हैं कि फेफड़ों की हालत उतनी अच्छी नहीं है. सिगरेट तो छोड़ना पड़ेगा। देखो ज्यादा देर मत कर देना।
याद है वो टाइम ट्रेवल की थ्योरी समझाई थी मैंने। बहुत रात हो गयी थी या शायद सुबह। मुझे पता नहीं तुम सुन भी रही थी कि नहीं. वो टाइम मशीन की बात थी ना, कि टाइम मशीन कुछ भी हो सकता है कहीं भी हो सकता है. मुझे लगता है सिगरेट ही टाइम मशीन है. या तो इस पार ले आएगा और तुम मुझे मिलोगी वहीं, या फिर उस पार जहाँ सब हैं, अशरीरी।
तुम्हें तो शायद अब याद नहीं होगा उस दिन मेस का खाना कितना खराब था और हम बाहर खाने आ गए थे। उतने पैसे नहीं थे मेरे पास इसलिए मैंने झूठ मूठ कहा था कि आज वड़ा पाव खाने का मन है. तभी मैंने तुम्हें एक बिहारी non veg joke सुनाया था। पहले तो तुम समझी नहीं थी. थोड़ी देर बाद जब समझ में आया तो तुम बेपरवाह ज़ोर से हंसी थी। तुमने नोटिस नहीं किया होगा लेकिन पूरी दूकान में लोग तुम्हें घूर रहे थे। कहते हैं आवाज time - space के नियमों को नहीं मानती। सुनने में अजीब सा लगेगा क्यूंकि बचपन से हमने पढ़ा है कि sound needs a medium. पर इंसानों की तरह आवाज़ की भी रूह होती है। वो शाश्वत है। सुनने वाले के इंतज़ार में रूहों की दुनिया में रहती है, हमेशा। शायद मुझे फिर सुनाई दे कभी। हमेशा ध्यान लगाये रहता हूँ, कि कभी , कहीं वो आवाज फिर से सुनूँ। दोस्त कहने लगे हैं मैं कम सुनने लगा हूँ.
कितना वक़्त गुज़र गया है , अब तो तुम्हारा चेहरा भी ठीक से याद नहीं। जब तक तुम थी तो मैं तुममें कुछ ऐसा ढूंढता रहता था जो मुझे बुरा लगे। कोई कमी कोई flaw , ताकि मुझे तुमसे प्यार ना करना पड़े। प्यार आज भी नहीं करता. बस जिया नहीं जाता है।
आज मैं जी लूँगा तुम कल आ जाना !
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